प्राकृतिक खेती के राष्ट्रीय गठबंधन (NCNF) के गुजरात चैप्टर एवं गुजरात नेचुरल फार्मिंग एंड आर्गेनिक एग्रीकल्चरल विश्वविद्यालय (वर्तमान में गुजरात प्राकृतिक कृषि विज्ञान यूनिवर्सिटी) ने प्राकृतिक खेती को गुजरात में जमीनी स्तर पर बढ़ावा देने व किसानों को जरूरी सहायता प्रदान करने हेतु एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये। गठबंधन एवं विश्वविद्यालय के बीच यह समझौता अपनी तरह का पहला प्रयास है। इस समझौता ज्ञापन के अनुसार राज्य स्तर पर एक प्रशिक्षण का आयोजन किया जिसमें छः जिलों की 27 महिलाओं ने भाग लिया। कृषि क्षेत्र में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी को सामने लाने हेतु NCNF की यह एक भविष्योन्मुखी पहल है। यह पहल न केवल सतत कृषि को बढ़ावा देने के लिए उन्मुख है बल्कि महिलाओं को मास्टर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षित कर उनकी भूमिका को पटल पर लाकर एक पहचान देने की ओर भी अग्रसर है।
कृषि में वर्तमान बहस धीरे-धीरे टिकाऊ कृषि पर ध्यान केंद्रित करने के लिए उपयुक्त कृषि मॉडल को अपनाने की ओर बढ़ रही है। इस क्षेत्र में सतत (टिकाऊ) कृषि होने का दावा करने वाले विभिन्न दृष्टिकोण हैं, जैसे शून्य बजट प्राकृतिक खेती (ZBNF) जिसे सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के रूप में भी जाना जाता है। प्राकृतिक खेती की दिशा में अभ्यासकर्ताओं, नागरिक समाज संगठनों (CSO) के विभिन्न प्रयासों और ज्ञान को एकत्रित करने के लिए जुलाई 2020 में प्राकृतिक खेती का एक राष्ट्रीय गठबंधन (एनसी एनएफ) बनाया गया। गठबंधन का उद्देश्य किसान समूहों, कृषि में काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों और राज्य एजेंसियों के बीच साझेदारी बनाना है। NCNF, गुजरात चेप्टर में राज्य के 33 संगठनों की भागीदारी है, जिनमें आगा खान ग्राम समर्थन कार्यक्रम (भारत), उत्थान ट्रस्ट, सज्जता संघ, ने अभी तक ने गठबंधन के कार्यालय की मेजबानी की। इस गठबंधन के पीछे का विचार कृषि पर नागरिक समाज संगठनों (CSO) के कार्यों को मैप करना था। साथ ही साथ यह भी ध्यान में रखा गया कि इससे किसान-से-किसान संपर्क बढ़ाने में सहायता मिलेगी और किसान एक पटल पर जुड़कर अपने अनुभव और सीख साझा कर सकते हैं।
वर्तमान कृषि पद्धति में रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के अतिशय मात्रा में प्रयोग से मिट्टी की उर्वरक क्षमता में कमी व मानव स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव को कई नागरिक सामाजिक संस्थानों ने संज्ञान में लिया है। इस समस्या के समाधान हेतु सतत कृषि पद्दतियों के विकास एवं अभ्यास की कई विद्वानों ने सिफारिश की है।
इसके लिए विभिन्न संस्थाओं के सहयोग की आवश्यकता पर विशेष बल दिया गया है।
सतत (स्थायी) कृषि कार्यक्रम को लागू करने के लिए राज्य सरकार, नागरिक समाज संगठनों, कार्यकर्ता नेटवर्क और दाता संगठनों जैसी संस्थाओं को एकजुट होकर कार्य करने होंगे। किसानों और अन्य संस्थानों का सामूहिक प्रयास सतत कृषि की दिशा में महत्वपूर्ण हो जाता है। गठबंधन की प्रारंभिक बैठकों में सम्बंधित संस्थाओं ने अपने अपने कार्यक्षेत्र अनुभवों के आधार पर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने हेतु प्रशिक्षण की बुनियादी आवश्यकता पर जोर दिया। वर्ष २०२१ नवम्बर माह में डॉ वर्गीस कुरियन के जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यशाला में गुजरात प्राकृतिक कृषि विज्ञान यूनिवर्सिटी, आनंद कृषि विश्वविद्यालय (AAU) एवं इंस्टिट्यूट ऑफ़ रूरल मैनेजमेंट आणंद (IRMA) के प्रतिनिधिओं ने प्राकृतिक कृषि को गुजरात में बढ़ावा देने के लिए विचार विमर्श किया। महिलाओं की उपेक्षित स्थिति को संज्ञान में लेते हुए कृषि क्षेत्र में उनकी सक्रिय भागीदारी व उनकी भूमिका को पटल पर लाने हेतु गठबंधन ने प्रशिक्षण के लिए महिलाओं को वरीयता प्रदान की ।
प्रशिक्षण :
वर्ष 2022, सितम्बर माह में NCNF ने महिला मास्टर किसानों का एक कैडर बनाने की पहल की जो किसानों को आगे प्रशिक्षित कर सके और जमीनी स्तर पर सहायता प्रदान कर सके। यह कार्यक्रम ‘मास्टर किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम’ के रूप में महिलाओं को प्रशिक्षण के लिए संगठित करता है। इसके लिए NCNF ने इस मिशन में महिलाओं को सक्रिय रूप से शामिल करने का विचार रखा, जो सतत कृषि के क्षेत्र में काम कर रही हैं। 'मास्टर फार्मर ट्रेनिंग प्रोग्राम' नामक प्रशिक्षण के लिए क्लस्टर स्तर पर महिला किसानों की पहचान की गई है। जो महिलाएं पहले से ही संगठनों के साथ काम कर रही थीं, उन्हें गुजरात के छहः जिलों, नर्मदा, जूनागढ़, दाहोद, महीसागर, अमरेली और भावनगर से NCNF के तहत चुना गया।
गठबंधन ने अन्य हितधारकों के साथ गुजरात प्राकृतिक और जैविक खेती विश्वविद्यालय के साथ मिलकर प्रशिक्षण मॉड्यूल डिजाइन किया। प्रशिक्षण सामग्री की डिजाइनिंग प्रक्रिया में सीएसओ के प्रतिनिधि और विश्वविद्यालय से विषय विशेषज्ञ शामिल हुए। पहले इस महिला प्रशिक्षण कार्यक्रम को लागू करने के लिए वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन बाद में गठबंधन ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूपरेखा बनाने और कार्यान्वित करने के लिए गुजरात प्राकृतिक कृषि विज्ञान यूनिवर्सिटी के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। प्रशिक्षण आनंद कृषि विश्वविद्यालय के परिसर में आयोजित किया गया एवं कार्यक्रम का अधिकांश खर्च गुजरात प्राकृतिक कृषि विज्ञान यूनिवर्सिटी, आगा खान ग्राम समर्थन कार्यक्रम (भारत) एवं NCNF द्वारा वहन किया गया।
महिलाओं को मास्टर फार्मर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षित करने के लिए तीन चरणों में 15 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रत्येक चरण में 5 दिनों को ध्यान में रखते हुए प्रशिक्षण के विषय को निर्धारित किया गया। सितंबर 2022 में प्रशिक्षण के पहले चरण में कुल 27 प्रतिभागियों ने भाग लिया। प्रशिक्षण का दूसरा चरण फरवरी 2023 के महीने में आयोजित किया गया। दूसरे चरण में प्रतिभागियों की संख्या में गिरावट हुई और कुल 15 अभ्यर्थियों ने भाग लिया। प्रशिक्षण का तीसरा चरण जून 2023 के महीने में संपन्न हुआ एवं दूसरे चरण के सभी 15 उम्मीदवारों ने प्रशिक्षण जारी रखा और सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा किया। प्रशिक्षण में सम्मिलित होने वाली महिलाएं आगा खान ग्राम समर्थन कार्यक्रम (भारत), उत्थान ट्रस्ट, वाग्धारा तथा शिक्षण एवं समाज कल्याण केंद्र से सम्बंधित थीं ।
प्रशिक्षण के चरण :
प्रशिक्षण के तीन चरणों को क्रमशः बुनियादी, माध्यमिक और उन्नत (बेसिक, इंटरमीडिएट एवं एडवांस) में विभाजित किया गया। बेसिक मॉड्यूल में विभिन्न भागीदारी गतिविधियों के माध्यम से किसानों को प्राकृतिक खेती (जैव-इनपुट, बीजों का रख रखाव, विपणन आदि) के बारे में जागरूक करके प्रशिक्षण देना शामिल था। इस मॉड्यूल में उन्हें कृषि पारिस्थितिक तंत्र, विभिन अवशेषों के खेती में उर्वरक के रूप में प्रयोग, बायोगैस और उसके अवशेषों के उपयोग आदि की व्याख्या को सम्मिलित किया गया।
इंटरमीडिएट मॉड्यूल में अन्य गतिविधियों के साथ-साथ किसानों को बाज़ार के सम्बन्ध में जानकारी और मार्केटिंग तकनीकों व उनकी अभिव्यक्ति के विषय में अवगत कराया गया। साथ ही साथ किसानों को एकीकृत खेती (मत्स्य पालन, शहद के लिए मधुमक्खियों का पालन) के विषय में प्रशिक्षित कर प्राकृतिक खेती के लिए मॉडल फार्म विकसित करने का कार्य दिया गया।
उन्नत मॉड्यूल में प्रशिक्षुओं को बायो-इनपुट संसाधन केंद्र की बारीकियों, समय प्रबंधन, समुदाय के व्यक्ति और प्रबंधन स्तर के अधिकारियों के साथ व्यवहार के बारे में सिखाया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में आगा खान ग्राम समर्थन कार्यक्रम (भारत) के प्रशिक्षकों को शामिल किया गया। क्योंकि यह पाया गया कि एक संसाधन व्यक्ति की आवश्यकता है जो किसानों और संगठन के बीच मध्यस्थ के रूप में काम कर सके।
प्रशिक्षण के उपरांत आत्मविश्वाश से लबरेज सभी प्रशिक्षुओं ने सम्बंधित संस्थाओं के साथ जमीनी स्तर पर कार्य प्रारंभ किया। प्रशिक्षित अभ्यर्थियों ने अपने-अपने क्लस्टर में किसानों को प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है। सतत कृषि में काम करने वाले संस्थानों ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए भविष्य के कार्यक्रमों में प्रशिक्षित कार्यबल को समायोजित करने की योजना बनाई। NCNF के आंकड़ों के अनुसार, जून 2023 से अगस्त २०२३ तक 15 महिला किसान मास्टर ट्रेनर द्वारा 200 किसानों को प्राकृतिक खेती तकनीकों में प्रशिक्षित किया गया है। गठबंधन (NCNF), प्रशिक्षित पेशेवर तैयार करने एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम में तेजी लाने के लिए राज्य सरकार के साथ समन्वय की तलाश में है। NCNF उन मास्टर ट्रेनर के लिए पुनश्चर्या प्रशिक्षण (Refresher Training) आयोजित करने की आशा कर रहा है जिन्होंने सक्रिय रूप से क्षेत्र में काम करना शुरू कर दिया है।
कार्यक्रम क्रियान्वयन में चुनौतियाँ : गठबंधन ने कृषि क्षेत्र में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी को बढ़ाने के उद्येश्य से महिलाओं को प्रशिक्षण में सम्मिलित करने का फैसला लिया। महिलाओं का घर से बाहर रहकर प्रशिक्षण लेना भी उनके लिए चुनौतीपूर्ण था। लेकिन गठबंधन की सदस्य संस्थाओं के विश्वास और सहयोग के कारण उनका भाग लेना संभव हो पाया। प्रथम चरण के उपरांत लगभग एक तिहाई महिलायें अगले चरण में हिस्सा नहीं ले पाई।
प्रशिक्षण के द्वितीय चरण में कुछ महिलाओं के भाग न लेने के कई कारण थे, जैसे उनका विवाह होने के कारण दूसरे जिले में प्रवासन, या सम्बंधित संगठन के साथ कार्य छोड़ना या पारिवारिक बाधाएं इत्यादि। दूसरा कारण कार्यक्रम की रुपरेखा थी, इसके आधार पर जिन प्रतिभागिओं ने इंटरमीडिएट अर्थात द्वितीय चरण में भाग नहीं लिया था उन्हें उन्नत प्रशिक्षण के लिए अनुमति नहीं दी गई।
कुल १५ महिलाओं ने सफलतापूर्वक तीनों चरण पूर्ण कर अपने सम्बंधित क्षेत्र में किसानो को प्रशिक्षण देना प्रारंभ किया। प्राकृतिक खेती पद्धति को पूर्ण रूप से अपनाने के लिए किसानों को संसाधनों की आवश्यकता है। गठबंधन से सम्बंधित संस्थान सहयोग प्रदान करने की दिशा में प्रयासरत हैं।
आगामी योजना :
आगामी योजना के तहत गठबंधन ने सीएसओ के साथ कृषि विषयों पर कार्यरत अन्य मध्य स्तर के पेशेवरों के कैडर को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया है, जिससे प्राकृतिक कृषि पद्धतिओं को अपनाने की दिशा में चल रहे प्रयासों को कुशलतापूर्वक प्रबंधित किया जा सके।
वर्तमान प्रशिक्षकों द्वारा किसानों के बीच मौजूदा चुनौती यह देखी गई कि वे सतत कृषि के लिए अनुशंसित कृषि पद्धतियों को अपनाने हेतु संसाधनों की कमी के साथ जूझ रहे हैं। सीएसओ किसानों के ऑन-फील्ड समर्थन के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन सतत कृषि के लिए काम करने के लिए और अधिक मदद की आवश्यकता है। उत्साही किसान वित्तीय संसाधनों से भी जूझ रहे हैं जिनकी प्राकृतिक खेती तकनीकों को अपनाने के लिए प्रारंभिक निवेश के रूप में आवश्यकता होती है। गुजरात राज्य में NCNF सतत परिवर्तन की यात्रा की दिशा में प्रारंभिक चरण में किसानों की सहायता के लिए संस्थात्मक ढांचा बनाने की ओर प्रयासरत है। इस कड़ी में राज्य सरकार का भी सकारात्मक रुझान भी द्रष्टिगत है।
NCNF ने इन प्रशिक्षित संसाधनों को कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (ATMA) के साथ जोड़ने की योजना बनाई है। प्रशिक्षित मास्टर्स किसान कृषि विज्ञानं केन्द्रों के कार्यक्रम के अनुसार ATMA के साथ समुदाय संसाधन व्यक्तियों (Community Resource Person) के रूप में कार्य करेंगे। इस प्रकार की साझेदारी से यह अभिसरण राज्य संस्थानों द्वारा प्रशिक्षित संसाधनों के उपयोग के उद्देश्य को पूरा करेगा और ज्ञान प्रसार प्रक्रिया समावेशी और सहयोगात्मक बन जाएगी।
किसानों को प्रशिक्षित करने के लिए महिला मास्टर ट्रेनर को पारिश्रमिक भी दिया जाएगा जिससे उनको आर्थिक लाभ भी होगा। इस पहल से कृषि-पारिस्थितिकी क्षेत्र में कार्य करने वाले विभिन्न संगठनों के साथ कार्यरत मध्य स्तर के पेशेवरों के विकास को बढ़ावा मिल सकता है, जिससे ज्ञान हस्तांतरण में तेजी लाने और अपनी कृषि पद्धतियों को उन्नत करने के इच्छुक उत्पादकों को सहायता प्रदान करने में मदद मिलेगी। इस बात स्पष्ट संकेत हैं कि गठबंधन और राज्य सरकार के सहयोगात्मक प्रयास से गुजरात में कृषि की स्थिरता में अंतर आएगा।
NCNF ने मैपिंग प्रक्रिया के दौरान पाया कि किसानों के साथ-साथ अन्य प्रबंधन स्तर पर भी इस प्रकार के प्रशिक्षण की आवश्यकता है। उन किसानों के लिए सीधे तौर पर क्षमता-निर्माण प्रशिक्षण की आवश्यकता देखी गई जो अपनी भूमि पर प्राकृतिक खेती करने के लिए जैविक संसाधनों को बढ़ावा देना चाहते हैं।
इस कार्यक्रम के पीछे का उद्देश्य रसायन मुक्त कृषि पद्धतियों को पुनर्जीवित करना और एक मॉडल फार्म बनाना है। NCNF का दृढ़ विश्वास है कि खेती में इस्तेमाल की जाने वाली प्राचीन पद्धतियां प्रकृति के अनुरूप थीं जबकि आधुनिक तकनीकें मिट्टी और अंततः खाद्य श्रृंखला प्रणाली को क्षति पहुंचा रही हैं जिस पर ध्यान देने की जरूरत है। प्रशिक्षण के माध्यम से इस तथ्य पर जोर दिया कि यदि किसानों को व्यवस्थित रूप से शामिल किया जाए तो यह कार्यक्रम इच्छुक किसानों को अपने अनुभव साझा करने और नई कृषि पद्धतियों को अपनाने की सुविधा प्रदान कर सकता है। इस प्रकार की पहल से भविष्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिलेगा एवं कृषि क्षेत्र में महिलाओं की सशक्त भूमिका सामने आएगी।
अंकित कुमार लिविंग फार्म इनकम प्रोजेक्ट, इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट आणंद (IRMA) में रिसर्च एसोसिएट हैं।
शुभा खड़के लिविंग फार्म इनकम प्रोजेक्ट, इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट आणंद (IRMA) में प्रोग्राम और आउटरीच कन्सल्टन्ट हैं।
आदित्य मिन प्राकृतिक खेती के राष्ट्रीय गठबंधन के गुजरात चैप्टर के फैसिलिटेटर हैं ।
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